विनेश फोगाट के आने से डूबी कांग्रेस, 7 बातों से समझे समीकरण

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव का परिणाम सामने आ चुका है एक बार फिर से हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनने जा रही है कांग्रेस नेता दिनेश फोगाट हालांकि जुलाना की सीट जीतने में कामयाब रही 6015 वोटो से विनेश फोगाट ने जीत हासिल की है उन्होंने अपने निकटतम प्रतिदिन बीजेपी के योगेश बैरागी को हराया है हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास विष के नाम पर एक अलादीन का चिराग मिल गया था जिसे लेकर कांग्रेस ने अपने पक्ष में जबरदस्त माहौल बनाया पर आखिर में चिराग की आज ने अपने घर में ही आग लगा दी दरअसल विष के चलते हरियाणा में जो माहौल बना वह कई तरीके से कांग्रेस पर ही भारी पड़ गया.

विनेश की जीत पर बृजभूषण शरण सिंह ने कसा तंज


विनेश फोगाट की जीत पर अब कुश्ती कांड के खलनायक भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह को भी बोलने का मौका मिल गया है उन्होंने तंज करते हुए कहा है कि हमारा नाम लेकर विनेश फोगाट जीत गई बृजभूषण ने कहा है कि मेरा नाम लेकर विनेश फोगाट जीत गई है तो इसका मतलब हम महान आदमी है कम से कम मेरे नाम में इतना दम तो है कि मेरा नाम लेकर उसकी नैया पार हो गई लेकिन कांग्रेस को तो डुबो दिया हुड्डा साहब तो डूब गए प्रियंका जी तो डूब गई राहुल बाबा का क्या होगा बृजभूषण कि बयान को केवल तंज समझना काफी बड़ी भूल होगा वास्तव में विनेश फोगाट मुद्दे ने कांग्रेस की हवा निकाल दी.

जाट-जाट होने से सहम गया था दलित समुदाय

हरियाणा में वीरेश को लेकर कांग्रेस इतनी उत्साहित थी कि जैसे उनके हाथ कोई जादू की छड़ी लगी हो इसमें कोई संदेह नहीं है कि कांग्रेस के पक्ष में हवा बनाने में महिला पहलवानों का आंदोलन बहुत काम आया पहलवान बेटियों के अत्याचार के नाम पर जाटों के सेंटीमेंट को भर गया किसानों के नाम पर जाट स्वाभिमान उभर कर सामने आया क्योंकि हरियाणा में किस का मतलब जाट और पहलवान का मतलब भी जात ही है किसान और पहलवान आंदोलन की इतनी अधिक चर्चा हो गई की गैर जाटों को लगा कि अगर यह लोग सत्ता में आ गए तो सर पर ही चढ़ जाएंगे यही दलितों के साथ भी हुआ हुड्डा समर्थकों ने जिस तरह कुमारी शैलजा का अपमान किया उसे कमजोर और दलित समुदाय सहन गया और किशन पहलवान की जुगलबंदी एंटी जाट वोटो के ध्रुवीकरण का कारण बन गई.

जाटों का वोट भी विनेश को नहीं हुआ हासिल

जुलाना सीट पर इस बार कांग्रेस ने विनेश फोगाट को बीजेपी पार्टी के कप्तान योगेश के सामने मैदान पर उतरा था आम आदमी पार्टी ने रेसलर कविता दुग्गल को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बनाने की कोशिश की थी पर विष की सीट जुलाना पर 65 हजार 80 वोट मिले वोटो की समीक्षा करें तो साफ पता चलता है कि विष को केवल उनकी बिरादरी यानी कि जाटों का ही वोट मिला है वह भी 100% वोट हासिल करने में असफल रही है उन्होंने अपने निकटतम प्रतिनिधि बीजेपी के योगेश बैरागी जिन्हें 5965 वोट हासिल किया साफ दिखाई दे रहा है कि विष के सेलिब्रिटी स्टेटस का फायदा कांग्रेस को जुलाना सीट पर नहीं मिला है तो आप समझ सकते हैं कि कांग्रेस को कितना फायदा विष ने पहुंचाया है.

योगेश बैरागी को मिले 36 बिरादरी के वोट

जुलाना में 187000 वाटर है यहां करीब 70% से ज्यादा समाज जाट के वोट है लेकिन पांच परियों में चार ने उम्मीदवार जाट समाज से उतरे थे उन्हें विष लाठर धंधा और कविता दलाल शामिल थे पर लेदर को छोड़कर जिन्हें 10000 के करीब वोट मिले हैं किसी को सम्मानजनक वोट नहीं मिले हैं खाने का मतलब है कि विष को जाटों का भी पूरा वोट नहीं मिला है कैप्टन बैरागी को उनसे केवल 6000 वोट कब मिले हैं मतलब उन्हें जाटों को छोड़कर सभी 36 बिरादरियों के वोट मिले हैं.

गठबंधन ना करना पड़ा कांग्रेस को भारी

विनेश फोगाट के अगर सोशल मीडिया और मेन स्ट्रीम मीडिया पर नजर डालें तो जिस तरह से लोगों ने रिएक्ट किया है उसे कांग्रेस अति विश्वास में आ गई थी कि किसान आंदोलन के चलते हरियाणा के जाट पहले ही कांग्रेस के पक्ष में हवा क्रिएट किए हुए थे महिला पहलवानों को लेकर जनता की नाराजगी को एसेस करने में कांग्रेस चूक गई कांग्रेस आती कॉन्फिडेंस के चलते आम आदमी पार्टी या जेपी आदि से गठबंधन करने के बजाय अकेले ही मैदान में उतारने का फैसला करना कांग्रेस को भारी पड़ गया अगर किसी भी पार्टी से कांग्रेस पार्टी गठबंधन करती तो कम से कम 10 सीटों का फायदा शायद उनको हो सकता था.

अपनों ने ही छेड़ा विनेश का साथ

विनेश फोगाट महिला पहलवानों के अत्याचार के खिलाफ आंदोलन कर रही थी तब तक तो जनता का सेंटीमेंट उनके साथ था पर जैसे ही कांग्रेस के साथ घूमने लगी लोगों को लगा कि केवल राजनीतिक स्टंट है यह सिर्फ एक नौटंकी भरा था और उनके आंदोलन के राजनीति होने की तस्वीर भी सामने आने लगी थी जब इनेश पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लेकर लौट के बाद कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा के साथ जीप में अपने घर पहुंची उनके सर रोड शो से वे कई कांग्रेस समर्थकों के करीब हो गए लेकिन राज्य में उनके कई टाटीसिस्ट समर्थक दूर हो गए इन सब के बीच विष के पिता समान उनके चाचा और उनके कोच महावीर फोगाट ने भी राजनीति में आने से उन्हें मना किया हालांकि तब तक विष बहुत आगे चली गई थी जबकि उनके साथ कई लोग पीछे रह गए थे और उसे बात का नुकसान जो है कांग्रेस पार्टी को यहां पर भुगतना पड़ा.

विनेश का झूठ बोलना कांग्रेस को पड़ा भारी

पेरिस ओलंपिक से लौट के बाद विष की बातें पूरी तरह नेताओं की तरह होने लगी थी ऐसे में उन्हें खिलाड़ी के रूप में जो ख्याति प्राप्त की थी उसका नुकसान हो गया माना यह गया कि विष जो भी कर रही है वह कांग्रेस के इशारों पर कर रही है पहले जो विष कहती थी कि उनका राजनीति में आनामें कोई दिलचस्पी नहीं है इसके बारे में जरा भी बात सच नहीं निकाली वहीं विनेश चुनाव के बीच अपने इंटरव्यू में रहती पाई गई की राजनीति को वह हमेशा से ऑब्जर्व करती आई है इतना ही नहीं एक इंटरव्यू में भी यह भी कह रही है कि पेरिस में जब उनके वजन को लेकर कंट्रोवर्सी हुई तो सरकार की तरफ से कोई फोन नहीं आया लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का फोन आया था लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया दिनेश की ऐसी विरोधाभासी बातों ने जनता का दिल तोड़ दिया दिनेश की राजनीति के कारण कांग्रेस पार्टी को भी लोग खलनायक के तौर पर देखने वालों की उसने विनेश फोगाट को अपने फायदे के खातिर इस्तेमाल किया है नहीं तो अगले ओलंपिक में विष एक बार फिर गोल्ड मेडल के लिए खेलती नजर आती है और शायद गोल्ड मेडल लेकर भी आती

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